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मुझसे क्या चाहता है जमाना

लोग रूठ जाते हैं मुझसे और मुझे मनाना नहीं आता मैं चाहता हूँ क्या मुझे जताना नहीं आता आंसुओं को पीना पुरानी आदत है मुझे आंसू बहाना नहीं आता लोग कहते हैं मेरा दिल है पत्थर का इसलिए इसको पिघलाना नहीं आता अब क्या कहूं मैं क्या आता है, क्या नहीं आता बस मुझे मौसम की तरह बदलना नहीं आता