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Showing posts from June, 2009

ज़िन्दगी दोस्तों से है

खुशी भी दोस्तो से है, गम भी दोस्तो से है, तकरार भी दोस्तो से है, प्यार भी दोस्तो से है, रुठना भी दोस्तो से है, मनाना भी दोस्तो से है, बात भी दोस्तो से है, मिसाल भी दोस्तो से है, नशा भी दोस्तो से है, शाम भी दोस्तो से है, जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है, जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है, मौहब्बत भी दोस्तो से है, इनायत भी दोस्तो से है, काम भी दोस्तो से है, नाम भी दोस्तो से है, ख्याल भी दोस्तो से है, अरमान भी दोस्तो से है, ख्वाब भी दोस्तो से है, माहौल भी दोस्तो से है, यादे भी दोस्तो से है, मुलाकाते भी दोस्तो से है, सपने भी दोस्तो से है, अपने भी दोस्तो से है, या यूं कहो यारो, अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से

ALL ABOUT TRUE LOVE

अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं यूं ही कभी लब खोले हैं पहले "फ़िराक़" को देखा होता अब तो बहुत कम बोले हैं दिन में हम को देखने वालों अपने अपने हैं औक़ाब जाओ न तुम इन ख़ुश्क आँखों पर हम रातों को रो ले हैं फ़ितरत मेरी इश्क़-ओ-मोहब्बत क़िस्मत मेरी तन्हाई कहने की नौबत ही न आई हम भी कसू के हो ले हैं बाग़ में वो ख्वाब-आवर आलम मौज-ए-सबा के इशारों पर ड़ाली ड़ाली नौरस पत्ते सहस सहज जब ड़ोले हैं उफ़ वो लबों पर मौज-ए-तबस्सुम जैसे करवटें लें कौंदें हाय वो आलम जुम्बिश-ए-मिज़गां जब फ़ितने पर तोले हैं इन रातों को हरीम-ए-नाज़ का इक आलम होये है नदीम खल्वत में वो नर्म उंगलियां बंद-ए-क़बा जब खोले हैं ग़म का फ़साना सुनने वालों आखिर-ए-शब आराम करो कल ये कहानी फिर छेड़ेंगे हम भी ज़रा अब सो ले हैं हम लोग अब तो पराये से हैं कुछ तो बताओ हाल-ए-"फ़िराक़" अब तो तुम्हीं को प्यार करे हैं अब तो तुम्हीं से बोले हैं

कोई ख़ास नहीं हूँ मैं

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं . एक दोस्त है कच्चा पक्का सा , एक झूठ है आधा सच्चा सा . जज़्बात को ढके एक पर्दा बस , एक बहाना है अच्छा अच्छा सा . जीवन का एक ऐसा साथी है , जो दूर हो के पास नहीं . कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं . हवा का एक सुहाना झोंका है , कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा . शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले , कभी अपना तो कभी बेगानों सा . जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र , जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं . कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं . एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है , यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है . यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं , पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है . यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है , पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं . कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .