Posts

Showing posts from July, 2009

फासले तेरे मेरे बीच के

कही चाँद रहो में खो गया कही चांदनी भी भटक गयी में चिराग हूँ वोह भी बुझा हुआ मेरी रात कैसे चमक गयी , मेरी दास्तान का वजूद था तेरी नर्म पलकों की छाओ में , मेरे साथ था तुझे जागना तेरी आँख कैसे झपक गयी , कभी हम मिले तो भी क्या मिला वही दूरियां .... ... वोही फासले ना कभी हमारे क़दम बढे ना तुम्हारी झिजक गयी , तुझे भूल जाने की कोशिशे कभी कामयाब ना हो सकी , तेरी याद शक -ऐ -गुलाब है जो हवा चली तो लचक गयी तेरे हाथ से मेरे होंठो तक वोही इनेज़ार की प्यास है

दर्द का एहसास

अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना , हर चोट के निशान को सजा कर रखना । उड़ना हवा में खुल कर लेकिन , अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना । छाव में माना सुकून मिलता है बहुत , फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना । उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं , यादों में हर किसी को जिन्दा रखना । वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना , खुद को दुनिया से छिपा कर रखना । रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी , अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना । तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम , कश्ती और मांझी का याद पता रखना । हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं , अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना । मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं , हर किसी से रिश्ता बना कर रखना

जब हम निकले

कंही फूल कंही भवर कंही रात और दिन सारी रुत तेरी मेरी कहानी निकले जब भी तुम्हारा ख्याल है आता मेरी सांसो से तेरी ही खुसबू निकले कंही ओस कंही बदल तो कंही रिमझिम बारिश सरे मंजर में तेरे मेरे ही किस्से निकले दूर होकर भी हम पास रहे आज दुरी के उस पार हम निकले कंही पत्तो की सरसराहट कंही चाँद और चादनी सारी रंगिनिया तेरे मेरे मिलन की कहानी निकले