फासले तेरे मेरे बीच के
कही चाँद रहो में खो गया
कही चांदनी भी भटक गयी
में चिराग हूँ वोह भी बुझा हुआ
मेरी रात कैसे चमक गयी ,
मेरी दास्तान का वजूद था
तेरी नर्म पलकों की छाओ में ,
मेरे साथ था तुझे जागना
तेरी आँख कैसे झपक गयी ,
कभी हम मिले तो भी क्या मिला
वही दूरियां .... ...
वोही फासले
ना कभी हमारे क़दम बढे
ना तुम्हारी झिजक गयी ,
तुझे भूल जाने की कोशिशे
कभी कामयाब ना हो सकी ,
तेरी याद शक -ऐ -गुलाब है
जो हवा चली तो लचक गयी
तेरे हाथ से मेरे होंठो तक
वोही इनेज़ार की प्यास है
कही चांदनी भी भटक गयी
में चिराग हूँ वोह भी बुझा हुआ
मेरी रात कैसे चमक गयी ,
मेरी दास्तान का वजूद था
तेरी नर्म पलकों की छाओ में ,
मेरे साथ था तुझे जागना
तेरी आँख कैसे झपक गयी ,
कभी हम मिले तो भी क्या मिला
वही दूरियां .... ...
वोही फासले
ना कभी हमारे क़दम बढे
ना तुम्हारी झिजक गयी ,
तुझे भूल जाने की कोशिशे
कभी कामयाब ना हो सकी ,
तेरी याद शक -ऐ -गुलाब है
जो हवा चली तो लचक गयी
तेरे हाथ से मेरे होंठो तक
वोही इनेज़ार की प्यास है
waah !
ReplyDelete"Wahee dooriyan...wahee fasle.."...ye taqreeban sabhee kee dastaan hai...!
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nice post apako dekh kar khushi hui. my home town is gonda.radhasaxena.blogspot.com
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDeleteNice Lines Boss......Ultimate.......Aapki baat aapki ye sundar rachna poori tarah vyakat karti hai.....gud one....
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